कोर्ट मैरिज क्या है, कोर्ट मैरिज कैसे करें, कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया, कोर्ट मैरिज के नियम, कोर्ट मैरिज के लिए जरुरी दस्तावेज, कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट, भारत में कोर्ट मैरिज कैसे करें (Court Marriage Kya Hai, Court Marriage Kaise Karen, Court Marriage Ke Niyam, Court Marriage Ke Liye Documents, Court Marriage Certificate, Bharat Mein Court Marriage Kaise Karen)
जब भी हम कोर्ट मैरिज का नाम सुनते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में यह आता है कि कोर्ट मैरिज कैसे होता है, कोर्ट मैरिज की क्या प्रक्रिया होती है, क्योंकि अक्सर हम बैंड बाजे वाली शादियां ही देखते हैं. लेकिन अब शादियों में लाखों खर्च करने की बजाय लोग कोर्ट मैरिज की तरफ़ रुख़ कर रहे हैं. अब दिखावे वाली शादियों के बजाय लोग शांति से पैसों और समय की बर्बादी किए बिना, कोर्ट मैरिज करना सही समझ रहे हैं. हमारे बॉलीवुड के कई सेलिब्रिटी ने भी बिग फैट वेडिंग के बजाय कोर्ट मैरिज को चुना. शादी के बाद हर नए कपल्स को अपनी शादी का प्रमाण पत्र यानी मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना होता है.
यह मैरिज सर्टिफिकेट कोर्ट में ही बनता है जो दंपत्ति के सभी जॉइंट काम जैसे प्रॉपर्टी, पासपोर्ट, बच्चों की कस्टडी, इन्वेस्टमेंट आदि के लिए आवश्यक होता है. इस आर्टिकल के जरिए हम जानेंगे कि कोर्ट मैरिज क्या है, कोर्ट मैरिज करने की प्रक्रिया क्या होती है, कोर्ट मैरिज करने के नियम क्या होते हैं, Court Marriage Kaise Karen?
कोर्ट मैरिज क्या है (Court Marriage Kya Hai)
हमारे देश में कोर्ट मैरिज धूमधाम से होने वाली शादियों से बहुत अलग होता है. कोर्ट मैरिज बिना किसी परंपरागत समारोह और रीति रिवाज के कोर्ट में मैरिज ऑफिसर के सामने की जाती है. यह कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम के तहत पूरी की जाती है. यह किसी भी धर्म संप्रदाय अथवा जाति के बालिग युवक-युवती के बीच हो सकती है. किसी भी विदेशी व भारतीय की भी कोर्ट मैरिज की जा सकती है. कोर्ट मैरिज में किसी भी प्रकार की भारतीय रीति रिवाज नहीं होते हैं. इसके लिए सिर्फ दोनों पक्षों को सीधे मैरिज रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन देना होता है. इसमें दोनों पक्षों की तरफ से गवाह भी होने जरूरी हैं. (Share Market Se Paise Kaise Kamaye)
कोर्ट मैरिज की जरूरी शर्तें
शादीशुदा ना हो
कोर्ट मैरिज में जरूरी है कि इस कानूनी प्रक्रिया में शामिल होने से पहले दोनों पक्ष सुनिश्चित करें कि वे शादीशुदा ना हो. यदि दोनों पक्षों में से किसी की शादी पहले हुई हो तो वह वैध ना हो.
लीगली रेडी
इसमें आपसी रिश्तेदारी में शादी नहीं हो सकती यानी बुआ, बहन आदि. यह नियम केवल हिंदू कम्युनिटी पर लागू किया गया है. शादी के वक्त दोनों ही पक्ष यानी वर और वधू अपनी सहमति यानी लीगली रेडी देने के लिए सक्षम हो. इसका मतलब है कि दोनों पक्ष अपनी इच्छा से यह शादी कर रहे हैं.
उम्र
कोर्ट मैरिज के लिए पुरुष की आयु 21 वर्ष से ज़्यादा तथा महिला की उम्र 18 वर्ष से ज़्यादा होनी चाहिए. दोनों पक्षों का संतान की उत्पत्ति के लिए शारीरिक रूप से योग्य होना आवश्यक है. इसके अलावा दोनों ही मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए.
कोर्ट मैरिज करने की प्रक्रिया
स्टेप-1
– कोर्ट में शादी करने के लिए सबसे पहले जिले के विवाह अधिकारी को सूचित किया जाना चाहिए.
– शादी में शामिल होने वाले पक्ष द्वारा लिखित सूचना दी जानी चाहिए.
– कोर्ट में शादी की सूचना उसके जिले के विवाह अधिकारी को दी जानी चाहिए. इसके अलावा शादी के इच्छुक दोनों पक्षों में से एक ने सूचना की तारीख से 1 महीने पहले तक शहर में निवास किया हो.
– सूचना देने के बाद आयु और निवास स्थान यानी रेसिडेंस के प्रमाण पत्र भी साथ में देने होते हैं.
स्टेप-2
जिस विवाह अधिकारी के सामने सूचना जारी की गई थी वह अधिकारी ही सूचना को प्रकाशित करता है. सूचना की एक प्रति कार्यालय में एक विशिष्ट स्थान पर तथा एक प्रति जिला कार्यालय में जहां विभाग पक्षी स्थाई रूप से निवासी है, प्रकाशित किया जाता है.
स्टेप-3
विवाह में आपत्ति कौन कर सकता है- कोई भी व्यक्ति विवाह में आपत्ति कर सकता है, जिसका लड़का या लड़की से दूर या पास का संबंध हो. यदि की गई आपत्ति का कोई आधार होगा तो उस पर जांच की जाती है. यह आपत्ति संबंधित जिले के विवाह अधिकारी के सामने की जाती है.
आपत्ति का परिणाम- किसी भी व्यक्ति द्वारा की गयी आपत्ति के 30 दिन के अंदर ही विवाह अधिकारी को जांच करना आवश्यक है. यदि जांच में आपत्ति को सही पाया गया तो शादी सम्पन्न नही हो सकती.
आपत्ति को हटाने की अपील- की गई आपत्ति को हटाने के लिए कोई भी पक्ष अपील कर सकता है. अपील स्थानीय जिला न्यायालय में विवाह अधिकारी के सामने दर्ज की जाती है. यह अपील आपत्ति के स्वीकार होने के 30 दिन के अंदर ही दर्ज होती है.
स्टेप-4
– कोर्ट मैरिज में गवाह होना आवश्यक है. विवाह अधिकारी की उपस्थिति में दोनों पक्ष और तीन गवाह घोषणा पर हस्ताक्षर करते हैं. इस घोषणा पर अधिकारी के हस्ताक्षर भी होने जरूरी हैं.
– घोषणा का प्रारूप अधिनियम की अनुसूची 111 में प्रदान किया गया है.
स्टेप- 5
– विवाह का स्थान विवाह अधिकारी का कार्यालय या उचित दूरी के अंदर का कोई भी स्थान हो सकता है.
– दोनों पक्षों का मैरिज फॉर्म विवाह अधिकारी की उपस्थिति में स्वीकार किया जाता है.
स्टेप-6
– कोर्ट मैरिज के बाद विवाह का प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होता है.
– विवाह के बाद विवाह अधिकारी मैरिज सर्टिफिकेट पत्र पुस्तिका में एक प्रमाण पत्र दर्ज करता है.
– उस प्रमाण पत्र पर दोनों पक्षों, तीन गवाहों और विवाह अधिकारी के हस्ताक्षर होने जरूरी है.
कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन के नियम
– भारत का कोई भी निवासी कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन कर सकता है.
– आवेदन के लिए सबसे पहले रजिस्ट्रार को नोटिस देना होता है.
– अब कोर्ट मैरिज का नोटिस माता-पिता तक नहीं पहुंचता बल्कि रजिस्ट्रार के ऑफिस में लगाया जाता है.
कोर्ट मैरिज के लिए डाक्यूमेंट्स
1. अनिवार्य शुल्क और कंप्लीट पत्र.
2. वर और वधू के पासपोर्ट साइज के चार फोटोग्राफ.
3. आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी.
4. कोर्ट मैरिज की फीस ₹1000 से शुरू होती है.
5. जन्म प्रमाण पत्र.
6. 10वीं या 12वीं की मार्कशीट.
7. वर और वधू किसी अवैध रिश्ते में नहीं है इसके लिए शपथ पत्र.
8. गवाहों की फोटो.
9. गवाहों का पैन कार्ड.
10. दोनों पक्षों में से कोई तलाक़शुदा है तो उसके तलाक के पेपर.
12. यदि पूर्व पति/पत्नी की मृत्यु हो चुकी है तो उसका डेथ सर्टिफिकेट.
कोर्ट मैरिज के बाद तलाक़ के नियम
कोर्ट मैरिज करने के बाद एक साल तक तलाक नहीं लिया जा सकता है. इसका मतलब है, विवाह का कोई भी पक्ष एक साल की समय सीमा समाप्त होने सकता.
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