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भारतीय सेना की स्थापना 1 अप्रैल 1895 को अंग्रेजों द्वारा की गई थी. भारतीय सेना की स्थापना 1 अप्रैल को हुई थी लेकिन भारत में सेना दिवस 15 जनवरी को मनाया जाता है. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का कारण.
सेना दिवस क्यों मनाया जाता है (Why we celebrate Army Day)
भारत में सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है. ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स 2017 के अनुसार, भारत की सेना को दुनिया की चौथी सबसे मजबूत सेना माना गया है. इस पावर इंडेक्स के अनुसार भारत से बेहतर सेना केवल; अमेरिका, रूस और चीन के पास है. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को इस सूची में 13वां स्थान हासिल है. भारतीय सेना की उत्पत्ति ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं में हुई थी जो आगे चलकर ‘ब्रिटिश भारतीय सेना’ कहलायी और अंततः स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय सेना बन गयी थी.
सेना दिवस का इतिहास (History of Army Day)
भारत को लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजी शासन की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुई थी. जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो देश भर में अराजकता का माहौल था. चारों तरफ दंगे फसादों तथा शरणार्थियों के आवागमन के कारण उथल पुथल का माहौल था. इस कारण कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा ताकि विभाजन के दौरान शांति व्यवस्था को सुनिश्चित किया जा सके.
भारतीय सेना दिवस 2022 (Indian Army Day 2022)
भारत की आजादी के बाद से 14 जनवरी 1949 तक भारतीय सेना की कमान अंग्रेज कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बूचर के पास थी. अर्थात भारत की आजादी के बाद तक भारतीय सेना के अध्यक्ष ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे. अगस्त 15 , 1947 को मिली आजादी के बाद भारत की संपूर्ण सत्ता भारतीयों के हाथों में सौंपने का समय था. इसलिए 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे. चूंकि यह मौका भारतीय सेना के लिए एक बहुत ही उल्लेखनीय था. इसलिए भारत में हर साल इस दिन को सेना दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया और तब से अब तक यह परंपरा चली आ रही है.
अतः सेना की कमान भारत के हाथों में आने के कारण ही 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है. बता दें कि आजादी के समय भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे और आज यह संख्या बढ़कर लगभग 13.5 लाख तक पहुंच गई है.
सेना दिवस के दिन क्या क्या कार्यक्रम होते हैं (Programmes on Army Day)
यह दिन(Indian Army Day) सैन्य परेडों, सैनी प्रदर्शनी व अन्य आधिकारिक कार्यक्रमों के साथ नई दिल्ली व सभी सेना मुख्यालय में मनाया जाता है. इस दिन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी भी दी जाती है, जिन्होंने कभी न कभी अपने देश और लोगों की सलामती के लिए अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया था. सेना दिवस के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में परेड निकाली जाती है जिसकी सलामी थल सेनाध्यक्ष लेते हैं. इस साल देश में 74 वां सेना दिवस मनाया जा रहा है.
के. एम. करिअप्पा कौन हैं (Who is K. M. Cariappa)
फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा का जन्म 1899 में कर्नाटक में हुआ था. उनके पिता कोडंडेरा एक राजस्व अधिकारी थे. के एम करिअप्पा का घर का नाम चिम्मा था. उन्होंने वर्ष 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व भी किया था. सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे, उन्हें जनवरी 1973 में यह पदवी प्रदान की की गई थी.
फील्ड मार्शल की पदवी पाने वाले दूसरे व्यक्ति थे के एम करिअप्पा जिन्हें यह पदवी 14 जनवरी 1986 को रैंक प्रदान की गई थी. फील्ड मार्शल की रैंक एक फाइव स्टार रैंक है, जो कि भारतीय सेना में सर्वोच्च प्राप्य रैंक है. फील्ड मार्शल की रेंके आर्मी चीफ जनरल से ठीक ऊपर मानी जाती है, हालांकि सेना में इस पदवी को सामान्य रूप से इस्तेमाल नहीं किया जाता है. अर्थात सैम मानेकशॉ और करिअप्पा के बाद यह किसी भी भारतीय सेना प्रमुख को नहीं दी गई है.
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