लोहड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, 2022 में लोहड़ी कब है, लोहड़ी कब मनाया जाता है, लोहड़ी का इतिहास, लोहड़ी का महत्व (Lohri Festival 2022, Lohri Festival Significance and History in Hindi)
इस पर्व को पंजाबी और हरियाणवी लोगों का त्योहार है. यह लोग लोहड़ी का त्यौहार बहुत उल्लास से मनाते हैं. यह देश के उत्तर प्रांत में ज्यादा मनाया जाता है. इन दिनों पूरे देश में पतंगों का मेला लगा होता है. पूरे देश में भिन्न-भिन्न मान्यताओं के साथ इन दिनों त्यौहारों का आनंद उठाया जाता है.
लोहड़ी के त्यौहार का उद्देश्य (Lohri Festival Objective)
त्यौहार प्रकृति में होने वाले परिवर्तन के साथ साथ मनाया जाते हैं. जैसे लोहड़ी में कहा जाता है कि इस दिन वर्ष की सबसे लंबी अंतिम रात होती है. इसके अगले दिन से धीरे-धीरे दिन बढ़ने लगता है. साथ ही इस समय किसानों के लिए भी उल्लास का समय होता है. खेतों में अनाज लहराने लगते हैं और मौसम सुहाना होने लगता है, जिसे मिल जुलकर परिवार और दोस्तों के साथ मनाया जाता है. इस तरह आपसी एकता बढ़ाना भी इस त्यौहार का उद्देश्य माना जाता है.
लोहड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है (Why We Celebrates Lohri Festival)
पुराणों में कहा गया है कि इसे सती के त्याग के रूप में प्रतिवर्ष याद करके मनाया जाता है. कथा अनुसार जब प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव का तिरस्कार किया था और अपने जमाता को यज्ञ में शामिल करने से इनकार कर दिया था तो उनकी पुत्री ने अपने आप को अग्नि में समर्पित कर दिया था. उसी दिन को एक पश्चताप के रूप में प्रतिवर्ष लोहड़ी पर मनाया जाता है और इसी कारण घर की विवाहित बेटी को इस दिन तोहफ़े दिए जाते हैं. भोजन पर आमंत्रित कर उनका सम्मान किया जाता है. इस खुशी में श्रृंगार का सामान सभी विवाहित महिलाओं को बांटा जाता है.
लोहड़ी के त्यौहार का इतिहास (History of Lohri Festival)
इस त्यौहार के पीछे का इतिहास भी काफ़ी दिलचस्प है. इसकी कथा को ‘दुल्ला भट्टी’ के नाम से जाना जाता है. यह कथा अकबर के शासन काल की है. उन दिनों दुल्ला भट्टी पंजाब प्रांत का सरदार था, इसे पंजाब का नायक कहा जाता था. उन दिनों संदलबार नामक एक जगह थी, जो अब पाकिस्तान में है. वहां लड़कियों की बाजारी होती थी, तब दुल्ला भट्टी ने इसका विरोध किया और लड़कियों को सम्मान पूर्वक इस दुष्कर्म से बचाया और उनकी शादी करवा कर उन्हें सम्मानित जीवन प्रदान किया. इस विजय के दिन को लोहड़ी के गीतों में गाया जाता है और दुल्ला भट्टी को याद भी किया जाता है. इन्हीं पौराणिक एवं ऐतिहासिक कारणों के चलते पंजाब प्रांत में लोहड़ी का उत्साह उल्लास के साथ मनाया जाता है.
लोहड़ी का त्यौहार कब मनाया जाता है (When We Celebrate Lohri Festival)
लोहड़ी पौष माह के अंतिम रात को एवं मकर संक्रांति की सुबह तक मनाया जाता है. यह त्यौहार प्रतिवर्ष मनाया जाता है. इस साल 2022 में लोहड़ी का त्यौहार 13 जनवरी को मनाया जाएगा. त्यौहार हमारे देश की शान है. हर एक प्रांत के अपने कुछ विशेष त्योहार होते हैं, इनमें से एक लोहड़ी भी है. लोहड़ी पंजाब प्रांत के मुख्य त्योहारों में से एक मानी जाती है. जिन्हें पंजाबी बड़े जोरों शोरों से मनाते हैं. लोहड़ी की धूम कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है. इस समय देश के हर हिस्से में अलग अलग नाम से त्यौहार मनाया जाता है. जैसे मध्य भारत में मकर संक्रांति, दक्षिण भारत में पोंगल का त्यौहार एवं काइट फेस्टिवल भी देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है. मुख्यतः यह सभी त्यौहार परिवार जनों के साथ मिल जुलकर मनाया जाता है जो आपस में बैर को भी ख़त्म करता है.
लोहड़ी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है (How We Celebrate Lohri)
हमारे देश में लोहड़ी बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. यह पंजाबियों का त्यौहार है, जिसमें नाच, गाना और ढोल का आनंद लिया जाता है.
पंजाबी लोहड़ी गीत (Punjabi Lohri Song)
लोहड़ी आने के कई दिनों पहले ही युवा और बच्चे लोहड़ी के गीत गाने शुरू कर देते हैं. 15 दिनों पहले यह गीत गाना शुरू कर दिया जाता है, जिन्हें घर-घर जाकर गाया जाता है. इन गीतों में वीर शहीदों को याद किया जाता है. जिनमें दुल्ला भट्टी का नाम विशेष रूप से लिया जाता है.
लोहड़ी के दिन कौन कौन से पकवान बनाये जाते हैं
भारत देश में हर त्यौहार के विशेष व्यंजन होते हैं. लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मूंगफली आदि खाई जाती है और इन्हीं के पकवान भी बनाए जाते हैं. इसमें विशेष रूप से सरसों का साग और मक्के की रोटी बनाई जाती है.
लोहड़ी में खेती का महत्व
इसमें में रबी की फसलें कटकर घरों में आती है, और उसका जश्न मनाया जाता है. किसानों का जीवन इन्हीं फसलों के उत्पादन पर निर्भर करता है. जब किसी मौसम के फसल घरों में आते हैं तो हर्षोल्लास का माहौल होता है. लोहड़ी में खास तौर पर इन दिनों गन्ने की फसल बोई जाती है और पुरानी फसलें काटी जाती है. इन दिनों मूली की फसल भी आती है और खेतों में सरसों भी आते हैं. यह ठंड की विदाई का त्योहार माना जाता है.
लोहड़ी बहन बेटियों का त्यौहार
इस दिन बड़े प्रेम से घर से विदा हुई बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है और उनका आदर सत्कार किया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार इसे दक्ष की गलती के प्रायश्चित के तौर पर मनाया जाता है और बहन बेटियों का सत्कार कर अपनी गलती की क्षमा मांगी जाती है. इस दिन नवविवाहित जोड़े को भी पहली लोहड़ी की बधाई दी जाती है और शिशु के जन्म पर भी पहली लोहड़ी के तोहफे दिए जाते हैं.
लोहड़ी में आग का महत्व
इस पावन पर्व के कई दिनों पहले से कई प्रकार की लकड़ियां इकट्ठी की जाती है जिन्हें नगर के बीच एक स्थान पर एकत्र किया जाता है. लोहड़ी की रात को सभी अपनों के साथ मिलकर अलाव के आसपास बैठते हैं. कई गीत गाते हैं, खेल खेलते हैं, आपसी गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं और एक दूसरे को लोहड़ी की बधाई देते हैं. इस लकड़ी के ढेर पर अग्नि देकर इसके चारों तरफ परिक्रमा किया जाता है. अपने लिए और अपनों के लिए दुआएं मांगी जाती है. विवाहित लोग अपने साथी के साथ परिक्रमा करते हैं. इस अलाव के चारों तरफ बैठकर रेवड़ी, गजक आदि का सेवन किया जाता है.
लोहड़ी का आधुनिक रूप
आज भी लोहड़ी की धूम वैसी ही होती है जैसे पहले होती थी, लेकिन आजकल जश्न ने पार्टी का रूप ले लिया है और गले मिलने की जगह लोग मोबाइल और इंटरनेट के जरिए एक दूसरे को बधाई देते हैं. बधाई संदेश को व्हाट्सएप और मेल पर भेजा जाता है.
लोहड़ी की विशेषता
– लोहड़ी का त्यौहार सिख समूह का पावन त्योहार माना जाता है. इसे सर्दियों के मौसम में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.
– पंजाब प्रांत के अलावा भारत के अन्य राज्यों समेत विदेशों में भी सिख समुदाय इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं.
– लोहड़ी का पर्व श्रद्धालुओं के अंदर नई ऊर्जा का विकास करता है. साथ ही खुशियों की भावना का भी संचार करता है, अर्थात यह त्यौहार प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है.
लोहड़ी त्यौहार की विशेषता
– इस पावन त्यौहार के दिन देश के विभिन्न राज्यों में अवकाश का प्रावधान है. इस दिन को लोग यादगार बनाते हैं.
– पर्व के दिन लोग मक्के की रोटी और सरसों का साग बना कर खाते हैं और यही इस त्यौहार का पारंपरिक व्यंजन भी है.
– इस दिन इस दिन अलाव जलाकर लोग उसके चारों तरफ बैठते हैं और फिर गजक, मूंगफली, रेवड़ी आदि खाकर इस त्यौहार का आनंद लेते हैं.
– इस पावन पर्व का नाम लोई के नाम पर पड़ा है. यह नाम महान संत कबीर दास की पत्नी जी का था.
– यह त्यौहार नए साल की शुरुआत में और सर्दियों के अंत में मनाया जाता है.
– इस त्यौहार के जरिए सिख के समुदाय नए साल का स्वागत करते हैं और पंजाब में इसी कारण इसे उत्साह पूर्ण तरीके से मनाया जाता है.
– किसान भाई बहनों के लिए यह पर्व अत्यधिक शुभ होता है. इस पर्व के बीत जाने के बाद नई फसलों की कटाई का काम शुरू किया जाता है.
लोहड़ी के त्यौहार को इस प्रकार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है. देश के लोग विदेशों में भी बसे हुए हैं. जिनमें पंजाबी ज़्यादातर शामिल है, इसलिए लोहड़ी विदेशों में भी मनाई जाती है. ख़ासतौर पर कनाडा में लोहड़ी का रंग बहुत दिखाई देता है.
FAQ
Q: लोहड़ी 2022 में कब है?
Ans: 13 जनवरी के दिन.
Q: लोहड़ी क्यों मनाया जाता है?
Ans: नई फसल की शुरुआत के लिए.
Q: लोहड़ी का त्यौहार कौन मानता है?
Ans: सिख समुदाय के लोग.
Q: लोहड़ी में किसकी पूजा की जाती है?
Ans: लोहड़ी माता जी की.
Q: लोहड़ी में क्या किया जाता है?
Ans: गीत गाये जाते हैं, खेल खेले जाते हैं.
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